Chyawanprash Benefits

Chyawanprash Benefits

च्यवन ऋषि भृगु मुनि के पुत्र थे जिन्होंने अश्विनी कुमारों की औषधि का सेवन करके वृद्धावस्था से युवावस्था में पहुंच गए थे और इसी औषधि को च्यवनप्राश कहा गया।
पहले हम अश्विनी कुमारों के बारे में जानते हैं।
वैदिक साहित्य में दो अश्विनी कुमारों का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है जिन्हें कुमारियों का पति कहा जाता है। ये देवों के चिकित्सक माने जाते थे । ऋग्वेद में 398 बार अश्विनी कुमारों का उल्लेख हुआ है। दोनों कुमारों का एक ही साथ नाम लिया जाता है। इसलिए ऋग्वेद में इन्हे सदैव अश्विनी कुमारों से ही संबोधित किया गया है। यह दोनों अश्विनी कुमार बहुत सुंदर व युवा थे । जिनकी वजह से इनके लिए नासत्यौ विशेषण 99 बार ऋग्वेद में प्रयोग किया गया है। दोनों अश्विनी कुमार आयुर्वेद के आचार्य माने गए । वृद्धों को युवा और नेत्रहीनों को नेत्र देने वालों में इनकी गणना होती थी ।
एक बार की बात है कि च्यवन ऋषि को तपस्या करते करते हजारों वर्ष गुजर गए, जिसके कारण इनके पूरा शरीर को दीमक ने अपना घर बना लिया और साथ ही साथ उन पर घास फूस झाड़ियां उग गयीं । च्यवन ऋषि आंखों के स्थान पर दो छोटे छोटे गड्ढे दिख रहे थे,ऐसा लग रहा था की सांप के दो बिल हों ।
एक दिन राजा शर्याति अपनी हजारों रानियों और अपनी पुत्री सुकन्या के साथ इसी जगह घूमने आए जहाँ च्यवन ऋषि तपस्या कर रहे थे। सुकन्या अपनी सहेलियों के साथ घूमते घूमते च्यवन ऋषि के पास पहुंच गई। सुकन्या ने मिटटी के टीले में च्यवन ऋषि की आँखों को सांप का बिल समझकर शरारत करने का विचार किया और उनमे कांटे भर दिए और जिस कारण च्यवन ऋषि की आंखें फूट गई।
च्यवन ऋषि अंधे हो गए और फिर च्यवन ऋषि क्रोधित होकर राजा शर्याति और उनके सारे सैनिकों और रानियों को मल मूत्र रुक जाने का श्राप दिया। चारों तरफ हाहाकार मच गया जब राजा शर्याति को इस घटना का पता चला तो राजा ने च्यवन ऋषि से माफी मांगी। च्यवन ऋषि ने कहा माफ कर दूंगा। लेकिन आपको अपनी बेटी सुकन्या का विवाह हमसे करना होगा। राजा मान गए। इस तरह से च्यवन ऋषि और सुकन्या की शादी हो गई। च्यवन ऋषि और सुकन्या की शादी के कई वर्ष गुजर गए। पत्नी सुकन्या च्यवन ऋषि की सेवा करती रही।
एक बार की बात है कि च्यवन ऋषि के आश्रम में अश्विनी कुमारों का आगमन हुआ । सुकन्या ने अश्विनी कुमारों का आदर सत्कार किया जिसके कारण दोनों अश्विनी कुमारों को बहुत खुशी हुई। दोनों अश्विनी कुमारों ने पतिव्रता सुकन्या से बोले, हम देवों के चिकित्सक हैं । हम आपकी सेवा से बहुत खुश हैं। हम तुम्हारे पति की आंखें ठीक कर सकते हैं। तब अश्विनी कुमारों ने च्यवन ऋषि को सरोवर में स्नान करने को कहा , जैसे ही च्यवन ऋषि सरोवर से बाहर निकले उनकी आँखे पहले जैसी हो गयी साथ ही साथ कुछ औषधियों का सेवन कराया , जिस कारण वो युवा हो गये । इसी औषधि को च्यवन ऋषि के नाम पर च्यवनप्राश कहा गया । हालाँकि अब न वो मूल जानकारी है लेकिन बैद्यों ने बताया है की मुख्यतः पांच प्रकार के तत्व च्यवनप्राश में शामिल होते हैं ।
१-प्रधान द्रव्य में आवंला शामिल होता है ।
2-संसाधन द्रव्य में आवंला को पानी के साथ गर्म किया जाता है ।
३-यमक द्रव्य में तिल का तेल और घी शामिल हैं।
4-संवाहक द्रव्य का प्रयोग च्यवनप्राश को सरंक्षित करने के लिए किया जाता है ।
५-प्रक्षेप द्रव्य में तेजपत्ता , नागकेशर , केशर, दालचीनी ,पिप्पली बंसलोचन ,छोटी इलाइची व शहद आते हैं ।
आयुर्वेद में सभी बिमारियों का मुख्य कारण शरीर के तीनो दोषों वात , पित्त व कफ में असंतुलन को माना जाता है , इस कारण च्यवनप्राश को त्रिदोष नाशक कहा गया है ।
च्यवनप्राश रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और शरीर को खांसी और जुखाम जैसी छोटी छोटी अनेक बीमारियों से बचाता है। यह श्वशन तंत्र को साफ करके बलगम को हटाता है। च्यवनप्राश शरीर की सामान्य शक्ति और पौरूष को बढ़ाता है। च्यवनप्राश में आंवला होता है जो ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए बहुत प्रभावी होता है। च्यवनप्राश में मौजूद आंवला त्वचा को अंदर से स्वस्थ रखने में सहायता करता है। यह मुँहासे कम करता है और त्वचा की बनावट में भी सुधार करता है। च्यवनप्राश में बहुत सारी जरूरी जड़ी-बूटियाँ, विटामिन और खनिज तत्व होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और ताज़ा रखने में मदद करते हैं। च्यवनप्राश से यौन शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। च्यवनप्राश में पाई जाने वाली अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ पुरुषों और महिलाओं में यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद करती हैं। च्यवनप्राश में विटामिन सी की प्रचुरता के कारण एंटी एजिंग गुण होता है जिससे बुढ़ापा देर से आता है । च्यवनप्राश खून को साफ़ करने और शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। च्यवनप्राश एक एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है जो त्वचा को साफ बनाए रखने में बहुत उपयोगी है | यह शरीर से हानिकारक कणों को बाहर निकालता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखता है। च्यवनप्राश को नियमित रूप से लेने वालों के बालों को मजबूत करने में मदद करता है और बालों को टूटने नहीं देता और साथ ही बालों को चमकदार भी बनाता है, बालों का समय से पहले सफ़ेद होने से भी रोकता है

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